कविता - देखें ये आजादी कितने पहचान देती है


देखें ये आजादी कितने पहचान
देती है, जब
लाल फीता और ये खादी
इनकी नियत
पल पल सज्ञान लेती है
पर भी  
रोटी और रोजगार
के साथ, हमारे
Dantewada
सपनों में कल की रौशनी
हर सांस को जान देती है
वही, अपनी  
एडियाँ रगडती हमारी किस्मत,
भुख से मिला हाथ
अतडियों को गले तक तान देती है
सांसे किरच-किरच
मुझे यह गुमान देती है
जिन्दगी और भूख
मौत से बड़ी मजबूरी है
कालाहांडी या अबूझमाड़
कहीं भी 
नंगी लुच्ची व्यवस्था,
किस्तों मे जान लेती है
उधर हमारी
संसद हमारी व्यवस्था
अंत्याक्षरी की
तरह मज़े ले कर
तुक बा तुक बयान देती है
देखें ये आजादी कितने पहचान
देती है

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वजह -ए-दर्द-ए-जिंदगी

कविता - कविता नागफनी हो जाती है