गजल - कुछ लोग हमें तवज्जो के काबिल नही समझते

हमारे हासिल को वो, कभी हासिल नही समझते
कुछ लोग हमें तवज्जो के काबिल नही समझते
young Indian girls 


हुश्न, इश्क, फूल, तितलियाँ, ये दिल और ये शेर 
ग़ज़ल के इस जज्बे, यूँ हम जाहिल नही समझते

एहतियातन ना मुनासिब है जुबां से जिक्र उनका
ये मुख़्तसर सी बात, वो संग-दिल नही समझते

निभाना मुनासिब ना हो पर उस मोड़ तक चलो
तुम्हारे मजबूरियों को हम तंगदिल नही समझते

ये दरिया ये तूफ़ान ये मौसम है कितने मुक़ाबिल 
हमारी कश्ती के जोर को, ये साहिल नही समझते

वो महफ़िलो में बज्मे सुखन नग्में सा है ‘नादाँ’
डूबे जो गैर मुद्दों पर, वो तेरा दिल नही समझते


टिप्पणियाँ

  1. कुछ लोग हमें तवज्जो के काबिल नही समझते......
    .....................जो दिल से कविता और शायरी को पढ़ते है समझते है उनकी तवज्जो अपने आप आयेगी , बाकी लोगो की वो जाने |

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