गज़ल - ये कायदा, ईमान तेरे नादाँ बड़ी बातें बताता था कभी

ना नज़र मिलाता था कभी
ना रहगुजर आता था कभी
 
ना सलाम ना दुआ ही बस
जां जिसपे लुटाता था कभी

आशुफ्तां है दिल मेरा बस
जो यूँ  ही मुस्कुराता था कभी

जालिम ने लूटा तसकीन से
बेफिक्र घर आता था कभी

तेरा कूचा  मेरा शिवाला है
बुतखाना मै जाता था कभी

सियासत ने रंग बदले मेरे
आईने से घबराता था कभी

ये कायदा, ईमान तेरे नादाँ
बड़ी बांतें बताता  था कभी 

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