ग़ज़ल - ना मीना ना मय ना मयनोश की बाते करो
छत पर चाँद और महफ़िल में वो बेहिजाब
उसने दिल लगाया, जलाया एक ही बात है
ये जंग-ए-इश्क है हमसे जोश की बातें करो
इश्क या परस्तिस के फर्क से नावाफिक
है
कौन कहता है, हमसे मदहोश की बातें करो
हमने जिया है पुरी शिद्दत, इस दुनिया को
ना हमसे कोई नये फिरदोस की बातें करो
माना मदहोश है हम, पर होश की बाते करो
ना मीना ना मय ना मयनोश की बाते करो
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