गजल - हर दर्द का कुछ बेदर्दी से मज़ा लेना



तुझसे रूठना यूँ खुद को सज़ा देना
pakizah 
मेरे मरासिम का हिसाब लगा लेना 

शाख से टूटे पत्ते का अंजाम क्या
मेरे बिखरने का अंदाज लगा लेना 

तेरे मेरे इस वास्ते को क्या नाम दें
मेरे वास्ते रिश्ते को बेनाम बता देना

तुझे रुसवाई का सिला लेना क्यूँकर
मुझ पे इलज़ाम बे-हिसाब लगा लेना 
 
तेरे जुस्तजू ने मुझे भी सिखा दिया
हर दर्द का कुछ बेदर्दी से मज़ा लेना 

राहे इश्क में फना लाजमी है ‘नादाँ’
जिंदगी कोइ नया ख्वाब सज़ा लेना

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