मेरी बेकली पे कुछ सवालात करो
इश्क की पाकीज़गी यूँ
दो बयाँ नही
ये किस्सा मुख़्तसर
हो जाये कभी
अभी तुम भी बेखौफ़
मुलाक़ात करो
नफरत करना मेरी
फितरत है नही
तुम चाहो तो सैकडो
अदावात करो
आखों के फ़ितने को
जवां होने दो
मेरी बेकली पे कुछ
सवालात करो
तुम मिरे मरासिम हो
या ना-शनास
इस तआल्लुक का कुछ हिसाबात
करो
इस हदूद आशिकी की
कसक ‘नादाँ’
तोड़ने उसके शह को
कोइ मात करो
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