चार पंक्तियाँ


वो आँखों में मुस्कान लिए फिरते है
मेरी मौत का सामान लिए फिरते है
हंथेलियों में तलाशा करते है वो नादाँ
हम पेशानी में ईमान लिए फिरतें है 

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