जीते-जीते जीना आ जायेगा

जीते-जीते जीना आ जायेगा
जख्म को सीना आ जायेगा

मुझ चिड़िया को मुड़ना बस
बाज़ो को पसीना आ जायेगा

जय बस्तरिया 7
महफिल का सलीका सीखा जो
यूँ आँखों से पीना आ  जाएगा

साकी नज़रे हम तक भी पहुँची
अब इन हांथो मीना आ जाएगा

यूँ नजरों-नजरें हमसे ना खेलो
उन आँखों में हीना आ जायेगा

तेरे खंजर का मुक़ाबिल पूछे तू
हर  हाल ये सीना आ  जाएगा

मेरे शहर की तासीर यूँ है 'नादाँ '
मेरे अन्दर भी कमीना आ जाएगा

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