मजबूर के अश्क का मुद्दा पहले

हम कुछ नये गम की बात करें
मेरे उस हमदम  की बात करें

BASTER - Jaynarayan Bastriya 
आईना देख क्यूँ पूछती है आँखे
क्या इस चश्मेनम की बात करे

हर हिजाब के पीछे इक पत्थर
किस इक सनम की बात करें

जीने का सलीका ज़रा सीख लें
फिर हम मरते दम की बात करे

मजबूर के अश्क का मुद्दा पहले
फिर आबे जमजम की बात करें

शिफ़ा अता करना मजबूरी उसकी
उससे जरा दम-ख़म से बात करे

सियासत जब सैकड़ों सांप सा डसें  
किसके जुल्फों ख़म की बात करे 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वजह -ए-दर्द-ए-जिंदगी

कविता - कविता नागफनी हो जाती है