इस दौरे निजाम में दवा क्या और जहर कैसा
हमारे लिए यूँ भी ये रात क्या और दोपहर कैसा
आवारा फ़कीर है कोइ गाँव क्या और डगर कैसा
चिराग़ है पर यह दोस्ती है आँधियों और तूफानों
मुफलिस है हमसे सियासत क्या और जर कैसा
jaybastriya |
हुश्न के इस दौर को गाँव क्या और शहर कैसा
यह इस्तफाक है या किस्मत की कारसाज़ी है
उजड़ना ही है जब आँगन क्या और घर कैसा
मुफलिसों की लडकी या उजड़े मकां फर्क क्या
सियासतदां की नियत क्या और नज़र कैसा
मुख्तलिफ़ सी बात है मिरे सितारें वफ़ा करें
इस दौरे निजाम में दवा क्या और जहर कैसा
नज़र से गिर के अबके उस दामन में रह गया
अश्क हूँ मेरी मंजिल क्या और कोइ सफर कैसा
कमबख्त नजर है आशिक की अब सबर क्यूँ
फिसल ही गई तो रुख्सार क्या और कमर कैसा
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