आदमी और कविता




वो
jaybastriya
आम आदमी था
कविता लिखता था
कविता सुनता था,
पढ़ता था
कविता ओढ़ता बिछाता था
एक दिन
वह काठ का हो गया
जिस दिन
उसे पूरी तरह पता चला
ये दुनिया अंधी है
बहरी है
बिना हाँथ पैर वाली
दो मुह वाली
बेहिसाब
सपोले पैदा करती
अंधा सांप है
......


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