नज्म - वो बे-खबर



सा -गूगल 


आरजूएं  हजार रखते है 

पर हम, दिल को मार रखते है 

वो आँखे, कलेजे पै वार रखते है 

पर हम से दिल बेजार रखते है 

वो आँखे है नश्तर जैसेवार-ब-वार रखते है 

हम में भी खुलुश कुछ कम नहीं

इन नजर -ए -बेरुखी पर प्यार रखते है

बेकदर वो हमसे

बेखबर वो हमसे

बेरुखी उनकी

रोज-नामचा है

हमारी क्या खता है

यहाँ हर वजह बेवजह है  

उन्हें आता क्या मजा है 

कैसे कहे ? किससे कहे ?  

अजब-अजब

शुमार रखते है

कैसे कहे वो हमपे प्यार रखते है

हम है की

आरजूएं  हजार रखते है

पर हम दिल को मार रखते है 




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