उनसे ना करो यूँ ईमान की बातें

खोल पंख करो  उड़ान की बातें
कुछ तीर कुछ कमान की बातें

दोस्त कौन आस्तीन का दुश्मन
कुछ करो अब पहचान की बातें

जो सियासत और बयान उगाते
उनसे ना करो यूँ ईमान की बातें

बोकर आँगन में फसल-ए-आग
करतें हैं जो  समाधान की बातें

मैदान की हर हवा पे यूँ भरोसा
क्यूँ करते हो बदगुमान सी बातें 

अब जंगल की दावानल से दोस्ती
क्यूँ करतें हो यूँ “नादाँ” सी बातें

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