गज़ल -- बदगुमानी में ना कहीं बदजुबान हो जाए

इस मुफ़लिस का  सफर आसान हो जाए                
Child of Dantewada 
गर राह की दुश्वारियाँ हम जुबान हो जाए

हमारी अकीदत वो काबुल करले जो नादां
हमारी बेइमानी भी उनका  ईमान हो जाए

दोस्तों की दिया सामान सफर में संग है
दिल फ़रेबी ना कहीं मेरे बयान हो जाए

मुस्कुराने की कोताही बेसबब यूँ ना कर  
शहर को तेरी बेदिली का गुमान हो जाए

असलहों की दुनिया में किताबों की बाते  
ज़ाहिद कहीं तू भी ना अन्जान हो जाए

वजीरो से अर्जेहाल से कब है बात बने  
सुने जब तेरे वजूद से वो परेशां हो जाए

हम मजलूमों से वो तज़्किरा करते नादां
बदगुमानी में ना कहीं बदजुबान हो जाए 

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