गीत - ठहर जा, ए मेरे अरमां, अधूरी ये कहानी है...दो
ठहर जा,
ए मेरे अरमां, अधूरी ये कहानी है
दिल की सुनाऊं या कहूँ जो ज़ुबानी है
वो नज्म़ या गुल या जैसे डल झील की किश्तियाँ
वो शबाब की वो मस्तियाँ उजडती दिल की बस्तियां
बरात-ए-नूर को फर्क क्या किसका घर ये जलता था
होते क्या-क्या हादसे, जाने क्या क्या
बदलता था
नागफनी के बिस्तर में मै करवट बदलता था
इस दिल का क्या, बात-बेबात मचलता
था
वो कभी आँखे तरेरे है कभी आँखें फेरे है
उगते सूरज को वो हांथो से घेरे है
करे क्या अभी उसकी, ये चढ़तीं जवानी है
ठहर जा,
ए मेरे अरमां, अधूरी ये कहानी है
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