मस्ते अलमस्त


टिप्पणियाँ



  1. #नादाँ_बस्तरिया #JNB ©
    मेरे एक ग़ज़लसा की दो पंक्तियाँ

    मस्ते शबाब = मदमस्त जवानी
    महवश = चाँद सा
    ज़ाहिरदारी = दिखावटी वस्तुये/विषय
    मस्ते अलमस्त = प्रकृति पूजक, प्रकृति प्रेमी

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