जीते-जीते जीना आ जायेगा लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप अगस्त 12, 2015 जीते-जीते जीना आ जायेगा जख्म को सीना आ जायेगा मुझ चिड़िया को मुड़ना बस बाज़ो को पसीना आ जायेगा जय बस्तरिया 7 महफिल का सलीका सीखा जो यूँ आँखों से पीना आ जाएगा साकी नज़रे हम तक भी पहुँची अब इन हांथो मीना आ जाएगा यूँ नजरों-नजरें हमसे ना खेलो उन आँखों में हीना आ जायेगा तेरे खंजर का मुक़ाबिल पूछे तू हर हाल ये सीना आ जाएगा मेरे शहर की तासीर यूँ है 'नादाँ ' मेरे अन्दर भी कमीना आ जाएगा लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप टिप्पणियाँ
वजह -ए-दर्द-ए-जिंदगी जुलाई 29, 2020 कहते हैं मोहब्बत दिल के किस्सों की किताब है उसका सफा चेहरों की ज़रूरत को मुख़ातिब था तू कातिब है मेरी किस्मत के फरेबों का ओ खुदा तू क्या जाने हर खेल मेरा खुद के मुख़ालिफ़ था ता उम्र तलाशा किया मैंने वज़ह-ए-दर्द-ए-जिंदगी क्या खूब ये दर्दे इश्क़ ही हर दर्द का मुहाफ़िज़ था जिंदगी थी आवारगी या आवारगी जिंदगी बन रही बेपता मंजिल थी मेरी ये सफीना खुद मुसाफ़िर था तेरा रूह इश्क़ के इबादत-ओ-सज़दे में था 'नादाँ' नसीब फ़रेब-ए-हुस्न की अक़ीदत से मुनासिब था #jnb #नादाँ_बस्तरिया © 30 जुलाई 2020 और पढ़ें
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