ये भेडियो की दुनिया है यूँ मेमनो का जलसा है
ये भेडियो की दुनिया है यूँ मेमनो का जलसा है जय बस्तरिया @स्कूल खैर कुछ सांसो की है अब तब ये पल सा है बस्तर की बेख्याली है या पेशानी मे बल सा है यूँ तो भुख मैदानों की है पहाड़ में दावानल सा है कुछ साजिशें ये घात है हर दर्द ही हल सा है सोचो की ये सूरत बदले आज भी सब कल सा है भटके हांथो में लगाम है ये आग है या जल सा है उन्हें ये बदगुमानी है बस अब सबकुछ ग़ज़ल सा है जो आसमां पाँव में उठाये झींगुरों के इक दल सा है जयनारायण बस्तरिया