संदेश

जून, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आखिर कौन मुझे बर्बाद करे है

चित्र
क्या-क्या भूलें किसे याद करें है जय बस्तरिया - ये जो जिंदगी है किसके दर क्या फ़रियाद करें है  कुछ दोस्त  कोइ खुदा  या इश्क आखिर कौन  मुझे बर्बाद करे  है इश्क  सियासत सा रंग बदले है ये किससे हम दरख्वास्त करें है चलन-ए-जमाना रिवायते इश्क ये तल्खियाँ जेहन आबाद करे है इस राह के सारे दरख्त काट कर रहनुमां काँटों की तिज़ारत करे है बे तक्ल्लुफ़ी आईने से ठीक नही सच से यूँ ''नादाँ' मुलाकात करे है

नादाँ' ये दुनिया नादाँ नही

चित्र
जय बस्तरिया - इक शाम हम  कुछ काफ़िर  ही सहीं पर तू  भी कोइ खुदा  नही फितरतन  तूम  पत्थर हो आदतन हम भी जुदा नही जुस्तजू क्या  फकीरों की ये  दीवार पर लिखा नही ये अदावत शिद्दत से की है ज़ख्म बिना जुनू उगा नही जब्त लाज़िम पर कब तक ये बस्ती घर पूरा लुटा नही सियासत में सब शरीफ है नकाब  चेहरे से उठा नही बसीरत सीरत अलग ही है सियासत शर्म में डूबा नही पत्थर के दीवार से है हम पीपल अब तक उगा नही 'नादाँ' ये दुनिया नादाँ नही कोइ किसी का  सगा नही