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जनवरी, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तुझसे क्या कहूँ ..........

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साभार मेरी बर्बादी भी यूँ मेरे लिए जश्न है 'नादा उसने कुछ तो मेरी इबादत को नज्र किया *** किस भरोसे सफ़र का अंजाम करोगे नादां  तेरे रहनुमां ही तेरे  राह के पत्थर बन गए *** वक्त के सैकड़ों इम्तहानों की सिला है'नादाँ'  हमें भी ठोकरें खाने की  ये अदा आ ही गयी  *** हंगामा ये है  हमारी आदतें शहर से कुछ जुदा है  तहजीब-ए -इंसा यहाँ रस्मों रिवाज़ की बात नही . *** गुजरे दिनों के हर कसक की तसल्ली के लिए  आज भी तेरी गली का फेरा अंजाम कर लेते हैं

तेरी वहशत मुझे बहलाती है

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दिल रोता आँखें मुस्कुराती है जिन्दगी कितना आजमाती है इश्क या रोटी यूँ  ही बेसबब हर सांस, भर सांस रुलाती है मेरी मुफ़लिसी है सारा मुद्दा फिर दुनिया किसे निभाती है वक्त  ने हर वक्त ठुकराया अब किस्मत भी तरसाती है सब ख़्वाब हमने जला डाले अब नींद  हर शब आती है तेरे इश्क  के बाद बस तू है   तेरी वहशत मुझे बहलाती है   क्या गिले क्या शिकवे ‘नादाँ’ खाकसारी इतना सिखलाती है