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कुछ शेर ...............

कुछ शेर ............... तेरी नियत फरेब है मेरी तुझपे ऐतबार देखें ये तिजारत चलती है किस तलक   -- बहुत मुतमईन हूँ मै अपनी बरबादी पर वो सितमगर अपना ही है कोइ गैर नही   -- एक खुली किताब हूँ हर वर्क है यूँ खुला-खुला ,   सब तस्वीरें देखते रहे बस पन्ने पलट-पलट कर --  हमको दिए जख्मों का हिसाब फिर कभी पूछ लेना अभी पूछो दिल में कितनी जगह बेखरोंच बाकी है   --- सर्द तन्हा राहों और वक्त के इम्तहानों के बाद तेरी यादों ने फिर मेरी मंजिल का पता याद किया   --- ये मौसम भी बेइमां है ये हवायें भी कुछ-कुछ देखतें है नकाब तेरी हया रोकेगी कब तलक --- वो दुनिया की बात करते हैं . हम इस दिल की हमारी मंजिल करीब है उनका सफर अभी बाकी --- तुझसा ही यूँ तल्ख मिज़ाजी है शहर तेरा हर ठोकर पर पूछे है कहीं लगी तो नही    ---         मेरे राह की ठोकरे मुझे होश में लाये रखती है मेरी आवारगी मुझे कब होशोहवास आने दिया   ' नादाँ '  बस्तरिया

मजबूर के अश्क का मुद्दा पहले

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हम कुछ नये गम की बात करें मेरे उस हमदम  की बात करें BASTER - Jaynarayan Bastriya  आईना देख क्यूँ पूछती है आँखे क्या इस चश्मेनम की बात करे हर हिजाब के पीछे इक पत्थर किस इक सनम की बात करें जीने का सलीका ज़रा सीख लें फिर हम मरते दम की बात करे मजबूर के अश्क का मुद्दा पहले फिर आबे जमजम की बात करें शिफ़ा अता करना मजबूरी उसकी उससे जरा दम-ख़म से बात करे सियासत जब सैकड़ों सांप सा डसें   किसके जुल्फों ख़म की बात करे